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(d)मौर्य काल की कला और वास्तुकला
मौर्य काल की कला और वास्तुकला: भारतीय इतिहास का स्वर्णिम युग
मौर्य काल (322-185 ई.पू.) भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण युग था, जिसे राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उन्नति के लिए जाना जाता है। मौर्य साम्राज्य की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा की गई थी और इसे अपने उत्कर्ष पर सम्राट अशोक ने पहुँचाया। इस काल में कला और वास्तुकला में अभूतपूर्व विकास हुआ, जिसने भारतीय उपमहाद्वीप की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध किया। मौर्य कला और वास्तुकला न केवल भारतीय, बल्कि विश्व इतिहास में भी महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
मौर्य काल की स्थापत्य कला
मौर्य काल में स्थापत्य कला का विशेष विकास हुआ। इस काल की प्रमुख स्थापत्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
राजप्रासाद और महल
मौर्य काल में राजप्रासाद और महलों का निर्माण बड़े पैमाने पर हुआ। चंद्रगुप्त मौर्य का पाटलिपुत्र स्थित राजप्रासाद इसका प्रमुख उदाहरण है। यह महल लकड़ी का बना था और अपनी भव्यता और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध था। मेगस्थनीज़, जो चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में एक यूनानी राजदूत थे, ने अपने लेखों में इस महल की भव्यता का उल्लेख किया है।
स्तूप निर्माण
मौर्य काल में बौद्ध धर्म के प्रचार के साथ स्तूपों का निर्माण हुआ। स्तूप एक गोलाकार ढांचा होता था, जिसमें भगवान बुद्ध के अवशेष या पवित्र धातु रखी जाती थी। यह धार्मिक स्थल के रूप में कार्य करता था। सबसे प्रमुख स्तूप, जो इस काल में बना, वह साँची स्तूप है। यह सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया था और इसके चारों ओर सुंदर तोरण और बारीक नक्काशी वाले द्वार हैं।
अशोक स्तंभ
मौर्य काल की स्थापत्य कला का एक और महत्वपूर्ण उदाहरण अशोक स्तंभ हैं। ये स्तंभ सम्राट अशोक द्वारा अपने धर्मादेशों को फैलाने के लिए बनाए गए थे। इन स्तंभों पर अशोक के धर्मादेश (एडिक्ट) ब्राह्मी लिपि में अंकित हैं। अशोक स्तंभों में सबसे प्रसिद्ध स्तंभ सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ है, जिसकी शिखर पर चार शेरों की मूर्ति है। यह भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक का भी हिस्सा है।
मौर्य काल की मूर्तिकला
मौर्य काल में मूर्तिकला का विशेष विकास हुआ। इस काल की प्रमुख मूर्तिकला निम्नलिखित हैं:
यक्ष और यक्षिणी की मूर्तियाँ
मौर्य काल में यक्ष और यक्षिणी की मूर्तियाँ बहुत प्रसिद्ध थीं। ये मूर्तियाँ विशाल और भव्य होती थीं, जो देवी-देवताओं और आध्यात्मिक शक्तियों का प्रतीक मानी जाती थीं। दीदारगंज यक्षिणी, जो पटना संग्रहालय में स्थित है, इस काल की मूर्तिकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह मूर्ति संगमरमर की बनी है और इसकी बारीक नक्काशी और सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है।
पशु मूर्तियाँ
मौर्य काल में पशु मूर्तियों का भी निर्माण हुआ। ये मूर्तियाँ धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक मानी जाती थीं। सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ पर बने चार शेरों की मूर्ति इस काल की प्रमुख पशु मूर्ति है। यह मूर्ति भारतीय कला और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
बुद्ध की मूर्तियाँ
मौर्य काल में बौद्ध धर्म के प्रचार के साथ बुद्ध की मूर्तियों का भी निर्माण हुआ। इन मूर्तियों में बुद्ध की शांति, ध्यान और करुणा को दर्शाया गया है। ये मूर्तियाँ बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए श्रद्धा और पूजा का केंद्र बनीं।
मौर्य काल की चित्रकला
मौर्य काल में चित्रकला का भी महत्वपूर्ण विकास हुआ। इस काल की प्रमुख चित्रकला निम्नलिखित हैं:
गुफाओं की चित्रकला
मौर्य काल में गुफाओं की चित्रकला विशेष रूप से विकसित हुई। बौद्ध भिक्षुओं के निवास और ध्यान के लिए बनाई गई गुफाओं में सुंदर चित्रकला की गई। बाराबर और नागार्जुन गुफाएँ इस काल की प्रमुख चित्रकला के उदाहरण हैं। इन गुफाओं में भगवान बुद्ध और बोधिसत्वों की चित्रकला की गई है, जो बौद्ध धर्म की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती है।
लघु चित्रकला
मौर्य काल में लघु चित्रकला का भी विकास हुआ। ये चित्रकला छोटे आकार की होती थी और धार्मिक ग्रंथों, पांडुलिपियों और धार्मिक स्थलों की सजावट के लिए उपयोग की जाती थी। इन चित्रों में धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों को दर्शाया गया है।
मौर्य काल की धातु कला
मौर्य काल में धातु कला का भी विशेष विकास हुआ। इस काल की प्रमुख धातु कला निम्नलिखित हैं:
धातु के मूर्तियाँ
मौर्य काल में धातु से बनी मूर्तियाँ बहुत प्रसिद्ध थीं। ये मूर्तियाँ तांबे, कांसे और लोहे की बनी होती थीं। यक्ष, यक्षिणी, पशु और बुद्ध की धातु मूर्तियाँ इस काल की प्रमुख धातु कला के उदाहरण हैं।
सिक्के
मौर्य काल में धातु से बने सिक्कों का भी निर्माण हुआ। ये सिक्के तांबे, चांदी और सोने के बने होते थे और व्यापार और वाणिज्य में उपयोग किए जाते थे। इन सिक्कों पर धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक अंकित होते थे।
मौर्य काल की वास्तुकला
मौर्य काल की वास्तुकला भी अत्यंत विकसित और समृद्ध थी। इस काल की प्रमुख वास्तुकला निम्नलिखित हैं:
महल और राजप्रासाद
मौर्य काल में महलों और राजप्रासादों का निर्माण बड़े पैमाने पर हुआ। पाटलिपुत्र स्थित चंद्रगुप्त मौर्य का महल इसका प्रमुख उदाहरण है। यह महल लकड़ी का बना था और इसकी भव्यता और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध था। इस महल में कई स्तंभ और बड़े-बड़े हॉल थे, जो उसकी भव्यता को दर्शाते थे।
स्तूप और चैत्य
मौर्य काल में बौद्ध धर्म के प्रचार के साथ स्तूपों और चैत्यों का निर्माण हुआ। ये धार्मिक स्थल बौद्ध भिक्षुओं के निवास और ध्यान के लिए बनाए गए थे। साँची स्तूप और अशोक स्तंभ इस काल की प्रमुख वास्तुकला के उदाहरण हैं।
गुफाएँ
मौर्य काल में गुफाओं का भी निर्माण हुआ। ये गुफाएँ बौद्ध भिक्षुओं के निवास और ध्यान के लिए बनाई गई थीं। बाराबर और नागार्जुन गुफाएँ इस काल की प्रमुख वास्तुकला के उदाहरण हैं। इन गुफाओं में सुंदर चित्रकला और मूर्तिकला की गई है, जो बौद्ध धर्म की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती है।
मौर्य काल की शिल्पकला
मौर्य काल की शिल्पकला भी अत्यंत विकसित और समृद्ध थी। इस काल की प्रमुख शिल्पकला निम्नलिखित हैं:
पत्थर की मूर्तियाँ
मौर्य काल में पत्थर की मूर्तियाँ बहुत प्रसिद्ध थीं। ये मूर्तियाँ संगमरमर, ग्रेनाइट और अन्य पत्थरों से बनी होती थीं। दीदारगंज यक्षिणी, जो पटना संग्रहालय में स्थित है, इस काल की मूर्तिकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह मूर्ति संगमरमर की बनी है और इसकी बारीक नक्काशी और सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है।
धातु की मूर्तियाँ
मौर्य काल में धातु से बनी मूर्तियाँ भी बहुत प्रसिद्ध थीं। ये मूर्तियाँ तांबे, कांसे और लोहे की बनी होती थीं। यक्ष, यक्षिणी, पशु और बुद्ध की धातु मूर्तियाँ इस काल की प्रमुख धातु कला के उदाहरण हैं।
मौर्य काल की धार्मिक कला
मौर्य काल में धार्मिक कला का भी महत्वपूर्ण विकास हुआ। इस काल की प्रमुख धार्मिक कला निम्नलिखित हैं:
बौद्ध कला
मौर्य काल में बौद्ध धर्म का व्यापक प्रचार हुआ। इस काल में भगवान बुद्ध और बोधिसत्वों की मूर्तियाँ और चित्रकला का निर्माण हुआ। बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए स्तूपों, चैत्यों और विहारों का निर्माण हुआ।
जैन कला
मौर्य काल में जैन धर्म का भी प्रचार हुआ। इस काल में तीर्थंकरों की मूर्तियाँ और चित्रकला का निर्माण हुआ। जैन धर्म के प्रचार के लिए मंदिरों और मूर्तियों का निर्माण हुआ।
मौर्य काल की सांस्कृतिक धरोहर
मौर्य काल की कला और वास्तुकला भारतीय उपमहाद्वीप की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करती है। इस काल की प्रमुख सांस्कृतिक धरोहर निम्नलिखित हैं:
स्थापत्य कला
मौर्य काल की स्थापत्य कला में महलों, राजप्र
ासादों, स्तूपों, चैत्यों और गुफाओं का निर्माण हुआ। ये स्थापत्य कला भारतीय इतिहास की महत्वपूर्ण धरोहर हैं और भारतीय वास्तुकला की उत्कृष्टता को दर्शाती हैं।
मूर्तिकला
मौर्य काल की मूर्तिकला में यक्ष, यक्षिणी, पशु, बुद्ध और तीर्थंकरों की मूर्तियाँ शामिल हैं। ये मूर्तिकला भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
चित्रकला
मौर्य काल की चित्रकला में गुफाओं की चित्रकला और लघु चित्रकला शामिल हैं। ये चित्रकला भारतीय कला और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
धातु कला
मौर्य काल की धातु कला में धातु से बनी मूर्तियाँ और सिक्के शामिल हैं। ये धातु कला भारतीय आर्थिक और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
निष्कर्ष
मौर्य काल की कला और वास्तुकला भारतीय इतिहास का स्वर्णिम युग था। इस काल में कला, मूर्तिकला, चित्रकला, धातु कला, स्थापत्य कला और धार्मिक कला का विशेष विकास हुआ। मौर्य काल की कला और वास्तुकला न केवल भारतीय, बल्कि विश्व इतिहास में भी महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इस काल की सांस्कृतिक धरोहर भारतीय उपमहाद्वीप की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करती है और भारतीय कला और संस्कृति की उत्कृष्टता को दर्शाती है।