Q2(a):-“प्राचीन काल से बिहार शिक्षा और अध्यात्म का केन्द्र रहा है।” इसकी विस्तृत व्याख्या कीजिए।
प्राचीन काल से बिहार शिक्षा और अध्यात्म का केंद्र रहा है। इस ऐतिहासिक और सांस्कृतिक समृद्धि का गहन विश्लेषण करने के लिए हमें बिहार की प्रमुख शिक्षण संस्थाओं, धार्मिक स्थलों, और विद्वानों की परंपरा को समझना होगा। इसके साथ ही, हमें यह भी देखना होगा कि किस प्रकार बिहार ने भारतीय सभ्यता और संस्कृति को समृद्ध किया है।
प्रारंभिक इतिहास
बिहार का इतिहास अत्यंत प्राचीन है और यह क्षेत्र प्रारंभिक वैदिक काल से ही महत्वपूर्ण रहा है। बिहार का प्राचीन नाम ‘मगध’ था, जो महाजनपद काल में शिक्षा और संस्कृति का प्रमुख केंद्र था। इस क्षेत्र ने कई महान सम्राटों, विद्वानों, और संतों को जन्म दिया।
नालंदा विश्वविद्यालय
नालंदा विश्वविद्यालय, जिसे विश्व की प्राचीनतम और महानतम विश्वविद्यालयों में से एक माना जाता है, बिहार में स्थित है। यह विश्वविद्यालय 5वीं शताब्दी में स्थापित हुआ था और यहाँ दुनिया भर से छात्र अध्ययन करने आते थे।
नालंदा की विशेषताएँ
- विस्तृत पाठ्यक्रम: नालंदा में बौद्ध धर्म, तंत्र, योग, आयुर्वेद, गणित, खगोल विज्ञान, और अन्य विषयों की शिक्षा दी जाती थी।
- विद्वानों की उपस्थिति: नालंदा में प्रसिद्ध विद्वानों जैसे कि नागार्जुन, धर्मकीर्ति, और शीलभद्र ने शिक्षा दी।
- अंतरराष्ट्रीय छात्र: नालंदा में चीन, तिब्बत, कोरिया, जापान, और अन्य देशों से छात्र अध्ययन करने आते थे।
- उन्नत पुस्तकालय: यहाँ का पुस्तकालय, ‘धर्मगंज’, तीन भागों में विभाजित था और इसमें हजारों ग्रंथ थे।
नालंदा का पतन
नालंदा विश्वविद्यालय का पतन 12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी के आक्रमण के कारण हुआ। इस हमले ने नालंदा की समृद्धि और ज्ञान के स्रोत को नष्ट कर दिया।
विक्रमशिला विश्वविद्यालय
विक्रमशिला विश्वविद्यालय, जो 8वीं शताब्दी में पाल वंश के राजा धर्मपाल द्वारा स्थापित किया गया था, भी बिहार में स्थित था। यह विश्वविद्यालय तांत्रिक और बौद्ध शिक्षा के लिए प्रसिद्ध था।
विक्रमशिला की विशेषताएँ
- विशेषज्ञ शिक्षक: यहाँ अनेक विषयों के विशेषज्ञ शिक्षक थे।
- तांत्रिक शिक्षा: विक्रमशिला विशेष रूप से तांत्रिक बौद्ध धर्म की शिक्षा के लिए जाना जाता था।
- विदेशी छात्र: यहाँ भी विदेशी छात्रों की उपस्थिति थी, जो विक्रमशिला की ख्याति को प्रमाणित करती है।
विक्रमशिला का पतन
विक्रमशिला विश्वविद्यालय भी 12वीं शताब्दी में मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट कर दिया गया।
बौद्ध धर्म और अध्यात्म
बिहार बौद्ध धर्म का जन्मस्थान है। यहाँ गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया और बौद्ध धर्म की शिक्षा दी। बोधगया, जहां बुद्ध ने बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया, बिहार में स्थित है और इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है।
बोधगया
बोधगया, बिहार का एक प्रमुख धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्र है। यहाँ महाबोधि मंदिर स्थित है, जो बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
- महाबोधि मंदिर: यह मंदिर बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति स्थल पर बना है और यहाँ बोधि वृक्ष भी स्थित है।
- अंतरराष्ट्रीय महत्त्व: बोधगया विश्वभर के बौद्धों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है और यहाँ विभिन्न देशों के बौद्ध मठ स्थित हैं।
जैन धर्म
बिहार जैन धर्म का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। भगवान महावीर, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, का जन्म और निर्वाण दोनों बिहार में हुआ था।
महत्वपूर्ण स्थल
- पावापुरी: यह भगवान महावीर का निर्वाण स्थल है और यहाँ जल मंदिर स्थित है।
- राजगीर: यह जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहाँ भगवान महावीर ने कई बार प्रवचन दिए।
हिन्दू धर्म और मिथिला
मिथिला, जो आधुनिक बिहार का एक हिस्सा है, हिन्दू धर्म और विद्या का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही विद्वानों और संतों का निवास स्थान रहा है।
विद्या और कला का केंद्र
- विद्वान और कवि: मिथिला का इतिहास मैथिल ब्राह्मणों और विद्वानों से भरा हुआ है। यह क्षेत्र कालिदास और विद्यापति जैसे महान कवियों का निवास स्थान रहा है।
- पेंटिंग: मिथिला पेंटिंग, जो मधुबनी पेंटिंग के नाम से भी जानी जाती है, इस क्षेत्र की विशिष्ट कला है।
अध्यात्मिक गुरुओं और संतों की परंपरा
बिहार ने कई महान संतों और गुरुओं को जन्म दिया, जिन्होंने अध्यात्म और समाज सुधार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
संत कबीर
संत कबीर का बिहार के मगहर क्षेत्र में निवास था और उन्होंने अपने उपदेशों के माध्यम से समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाए।
गुरु गोविंद सिंह
सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह का जन्म पटना में हुआ था। उनका जन्म स्थान ‘तख्त श्री पटना साहिब’ आज भी सिख धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
महर्षि मेंही परमहंस
महर्षि मेंही परमहंस, संतमत के प्रसिद्ध संत, का भी बिहार में निवास था। उन्होंने ध्यान और संतमत के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
आधुनिक काल में शिक्षा का विकास
प्राचीन काल की समृद्ध परंपरा के बाद भी बिहार ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देना जारी रखा है। आज भी बिहार में कई प्रमुख शिक्षण संस्थान और विश्वविद्यालय हैं, जो उच्च शिक्षा प्रदान करते हैं।
पटना विश्वविद्यालय
पटना विश्वविद्यालय, जो 1917 में स्थापित हुआ था, बिहार का एक प्रमुख विश्वविद्यालय है। यह विश्वविद्यालय शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
आईआईटी पटना
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) पटना, बिहार का एक प्रमुख तकनीकी संस्थान है, जो उच्च तकनीकी शिक्षा और अनुसंधान में अग्रणी है।
निष्कर्ष
प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक, बिहार ने शिक्षा और अध्यात्म के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। नालंदा और विक्रमशिला जैसे महान विश्वविद्यालयों से लेकर बोधगया और पावापुरी जैसे धार्मिक स्थलों तक, बिहार की भूमि विद्या, ज्ञान, और आध्यात्मिकता की धरोहर रही है। यह परंपरा आज भी जीवित है और बिहार के लोग इसे गर्व के साथ आगे बढ़ा रहे हैं।
बिहार का इतिहास और संस्कृति यह दिखाते हैं कि यह राज्य प्राचीन काल से ही विद्या, ज्ञान, और अध्यात्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है और आगे भी रहेगा। यह धरोहर केवल बिहार ही नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए मूल्यवान है।